क्या टी20 लीग और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के बीच तक़रार अब गंभीर मोड़ लेने वाली है?

कई प्रमुख देशों के खिलाड़ी अब अपनी फ़्रैंचाइज़ी के लिए कई लीगों में खेलना चाहते हैं और इसी सिलसिले में खिलाड़ियों और आईपीएल फ़्रैंचाइज़ी के बीच अनुबंध की संभावनों को लेकर बातचीत हो रही है। हालांकि ये चर्चाएं अभी अनौपचारिक ही हैं लेकिन इस बात की संभावना को तलाशा जा रहा है जिसमें प्रमुख खिलाड़ियों का मुख्य नियोक्ता एक क्रिकेट बोर्ड ना होकर एक आईपीएल फ्रेंचाइजी बन सकता है। मंगलवार को ‘द टाइम्स’ के रिपोर्ट के अऩुसार छह इंग्लैंड के खिलाड़ियों से आईपीएल फ़्रैंचाइज़ी के मालिकों ने संपर्क किया और पूछा है कि क्या वे एक ऐसी डील के लिए तैयार होंगे, जिसमें क्रिकेट बोर्ड या काउंटी के बजाय फ़्रैंचाइज़ मालिक उनका मुख्य नियोक्ता हो।

दुनिया भर के क्रिकेट खिलाड़ियों की संस्था फ़ाइका के कार्यकारी अध्यक्ष हीथ मिल्स के अनुसार, ऐसी बातचीत न केवल इंग्लैंड में बल्कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज में भी हुई है। मिल्स ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, “कई टूर्नामेंटों में खेलने के लिए कुछ फ्रेंचाइजी और खिलाड़ियों के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई है। इसका रुप अलग-अलग खिलाड़ियों के लिए अलग हो सकता है। लेकिन क्रिकेट में किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस तरह की बातचीत हो रही है और खिलाड़ियों के पास भविष्य में इस प्रकार के विकल्प होंगे।

“व्यक्तिगत बातचीत की बारीक़ियों में जाए बिना, ये चर्चाएं एक फ़्रैंचाइज़ी के लिए खिलाड़ी के विभिन्न टी20 लीगों में खेलने के बारे में हैं। एक फ़्रैंचाइज़ी के पास विश्व स्तर पर तीन या चार टीमें हो सकती हैं, इसलिए वे खिलाड़ियों को सिर्फ़ आईपीएल के अलावा कई प्रतियोगिताओं में खिलाना चाहते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि सभी प्रतियोगिताओं के लिए एक खिलाड़ी को विशेष रूप से साइन किया जाए, बल्कि आईपीएल टीम के अलावा भी अन्य टीमों के लिए खेलने के लिए साइन किया जाए।”

मिल्स ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसी खिलाड़ी ने अभी तक किसी फ़्रैंचाइज़ के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन फ़ाइका “पिछले कुछ दिनों से, कुछ खिलाड़ियों का कई प्रतियोगिताओं में खेलने से संबंधित बातचीत के बारे में अवगत है।”

यह जल्दी नहीं हो सकता। इस हफ़्ते की शुरुआत में बीबीसी के ‘टेस्ट मैच स्पेशल’ पॉडकास्ट पर इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के प्रबंध निदेशक रॉब की ने कहा कि इंग्लैंड के बड़े क्रिकेट सितारों को प्रलोभन से बाहर ले जाना इतना आसान नहीं होगा। की ने कहा, “इंग्लिश खिलाड़ी अब भी टेस्ट क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। मुझे निकट भविष्य में ऐसा होता नहीं दिखता है कि जब केंद्रीय अनुबंधित टेस्ट खिलाड़ी कहे कि ‘मैं तीन सप्ताह के लिए अमेरिका जा रहा हूं।’ मुझे नहीं लगता कि ऐसा होने जा रहा है। फ़िलहाल यह कोई ख़तरा नहीं है। निश्चित रूप से सफ़ेद गेंद से खेलने वाले क्रिकेटरों के लिए ये अलग है।

“आप ऐसी स्थितियों पर विचार कर सकते हैं, जहां टी20 लीग होने पर खिलाड़ी कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट न खेलने के लिए सहमति बने। सभी को थोड़ा समझौता करने की आवश्यकता होगी, लेकिन यह संभव है।”

हीथ मिल्स, फ़ाइका के कार्यकारी अध्यक्ष

इस पूरी प्रक्रिया में कई बाधाएं भी आएंगीं, जैसे अलग-अलग लीगों में अलग-अलग नीलामी प्रक्रियाओं के साथ ही वेतन निर्धारण। साथ ही सबसे अहम भारतीय खिलाड़ी जो आईपीएल के अलावा अन्य किसी भी लीग के लिए उपलब्ध नहीं होंगे क्योंकि मौजूदा स्थिति के अनुसार बीसीसीआई किसी भी खिलाड़ी को आईपीएल के अलावा किसी भी अन्य क्रिकेट लीग में खेलने की इजाज़त नहीं देता है। लेकिन यह मुद्दा क्रिकेट प्रशासकों के दिमाग में है। पिछले दिनों ईसीबी के सीईओ रिचर्ड गूल्ड ने स्पष्ट शब्दों में इस बात की वकालत की कि खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मैचों में उपलब्धता के लिए बेहतर भुगतान करने की आवश्यकता है।

गूल्ड ने कहा था, “हमें उन्हें ज्यादा पैसा देना होगा। केंद्रीय अनुबंध के बजाय हर मैच में उपलब्धता के आधार पर भुगतान हो सकता है क्योंकि मुझे लगता है कि किसी विशेष टूर्नामेंट के दौरान ये सबसे कारगर तरीक़ा हो सकता है। हमारी ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि अपने पुरुष और महिला खिलाड़ियों को इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम और घरेलू प्रतियोगिताओं में खिलाने के लिए, हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। लेकिन उन्हें अपने पास रोक कर रखने के लिए हमारे पास वित्तीय ताक़त होनी चाहिए।

“मुझे अक्सर लगता है कि लोग इंग्लैंड के लिए खेलने पर बहुत अधिक ज़ोर देंगे और हम उनकी वफ़ादारी के लिए उनके आभारी हैं। लेकिन फ़ुटबॉल की तरह ही हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम उन्हें बरकरार रखने के लिए भुगतान कर सकें और वैश्विक खिलाड़ियों के स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। और वैश्विक खिलाड़ी बाज़ार भी हर माह बदलता रहता है और वो इस बात पर निर्भर करता है कि अन्य कौन सी प्रतियोगिता उस समय हो रही हैं।”

फ़ाइका लंबे समय से क्रिकेट कैलेंडर को तार्किक बनाने की बात उठा रहा है। अंतरराष्ट्रीय द्विपक्षीय क्रिकेट, आईसीसी आयोजनों और टी20 लीगों की भरमार की वजह से सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को यह चुनने और प्राथमिकता देने के लिए मजबूर कर रही है कि वे कहाँ और कब खेलना चाहते हैं। पिछले साल घोषित हुए हाल ही के एफ़टीपी को सदस्य देशों से जिस तरह से बनाया है, इस बात की भी मिल्स आलोचना करते हैं।

उनका कहना है, “वर्तमान स्थिति में प्रत्येक बोर्ड अपने स्वयं के द्विपक्षीय कार्यक्रम और अपनी टी20 प्रतियोगिता को अपने हिसाब से स्वतंत्र रूप से आयोजित करता है। और हर कोई सिर्फ़ ख़ुद के लिए सही परिणाम चाहता है। साथ ही सभी सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को भी वे अपने अंतरराष्ट्रीय और टी20 मैचों में खिलाना चाहते हैं । लेकिन ज़ाहिर सी बात है, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी एक ही दिन हर जगह नहीं खेल सकते।

“शेड्यूलिंग के मामले में हर कोई अपने हिसाब से चलता है तो ऐसी व्यवस्था में हर महीने होने वाली टी20 लीग और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आपसी टकराव होंगे ही। ऐसे में क्रिकेट बोर्ड्स और टी20 लीग खुद को कमजोर कर रहे हैं।” इसका समाधान बताते हुए, मिल्स बताते हैं कि सिर्फ़ टी20 लीग के लिए एक साल में तीन विंडो बनाई जा सकती है, ताकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के साथ टी20 लीग का सीधा टकराव ना हो। उनका कहना है, “ऐसी विंडो बनाने पर आपसी सहमति जताई जा सकती है जहां टी20 लीग होने पर खिलाड़ी कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ना खेलें। सभी को थोड़ा समझौता करने की आवश्यकता है, लेकिन यह संभव है। जब तक ऐसा समाधान नहीं निकलता तब तक खिलाड़ियों को कोई एक विकल्प चुनने पर मजबूर होना पड़ेगा, और इसमें द्विपक्षीय क्रिकेट का हित नहीं होगा।”

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं.

Source: ESPN Crickinfo

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